कई रिश्ते शुरुआत में बहुत भावनात्मक और गर्मजोशी से भरे होते हैं, लेकिन समय के साथ ठंडे पड़ जाते हैं। यह भावनात्मक ठंडापन तब होता है जब दो लोग आपस में गहराई से नहीं जुड़ पाते। इसका सबसे बड़ा कारण होता है भावनात्मक संचार की कमी।
जब एक साथी अपने जज़्बातों को साझा नहीं करता या दूसरा व्यक्ति उसे समझने की कोशिश नहीं करता, तो रिश्ते में दूरी आने लगती है। यह दूरी धीरे-धीरे भावनात्मक दूरी और फिर ठंडेपन में बदल जाती है।
1. तनाव और मानसिक थकावट
हर दिन की जिम्मेदारियाँ और दबाव मानसिक थकावट का कारण बनते हैं। जब मन तनाव से भरा होता है तो व्यक्ति अपने साथी से भावनात्मक रूप से दूर हो जाता है। यह भावनात्मक संचार की कमी का आम कारण है।
2. बातचीत का अभाव
सिर्फ बोलना संचार नहीं होता। अगर कोई साथी केवल जवाब देता है लेकिन समझता नहीं, तो भावनाएँ दब जाती हैं। यह भावनात्मक बंधन को कमजोर करता है और रिश्ता ठंडा हो जाता है।
3. पिछले अनुभवों का असर
अगर किसी का पिछला रिश्ता दर्दनाक रहा हो तो वह नए रिश्ते में खुद को पूरी तरह नहीं खोलता। उसे फिर से चोट लगने या ठुकराए जाने का डर रहता है। यह डर भावनात्मक संचार की कमी का रूप ले सकता है।
4. शारीरिक कारण
कई बार हार्मोनल असंतुलन, थकान या बीमारी की वजह से भी इंसान भावनात्मक रूप से सक्रिय नहीं रहता। इससे शारीरिक संबंध भी कम हो जाते हैं और रिश्ता ठंडा हो जाता है।
5. खामोशी भी चीखती है
अक्सर लोग कहते हैं "मैं ठीक हूँ", लेकिन अंदर से टूटे हुए होते हैं। जब एक साथी दूसरे के दर्द को महसूस नहीं करता तो वह चुपचाप दूरी बना लेता है। यह खामोशी भावनात्मक संचार की कमी का संकेत होती है।
6. समाधान क्या है?
पहला कदम होता है खुलकर बात करना। हर दिन कम से कम दो मिनट एक-दूसरे से ईमानदारी से बात करें। जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल काउंसलर की मदद लें। और सबसे ज़रूरी बात है – सब्र रखें। हर रिश्ते को बढ़ने के लिए समय चाहिए।